विशेष

कविता
------------------
समय की मार
-----------

ग़रीबी आने के लिये तैयार बैठी है
तुम्हें बस उसके स्वागत के लिये ?

वह सारे काम करने है जिनसे ग़रीबी ?
आराम से तुम्हारे साथ रह सके !

कोई टिप्पणी नहीं: